Sattasvarup-Gujarati (Devanagari transliteration).

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[ सत्तास्वरूप
शकाय? समवसरणलक्ष्मीथी तेमनामां पूज्यपणुं केवी रीते
आव्युं? तथा समवसरणादिलक्ष्मी सहित जाणी अमे तेमने शा
माटे पूजीए छीए? एनो निश्चय करी पूजवा योग्य छे.
वळी, स्वर्गमोक्षना दातार जाणी पूजादिक करो छो
पण ए स्वर्गमोक्षना दातार केवी रीते छे? जेम कोई दातार
कोईने कांई वस्तु आवे छे वा जेम कोईने धनादिक पेदा
करवानी सलाह आपे छे अने ते पोते ते कार्यरूप प्रवर्ते त्यारे
तो तेने धनादिकनी प्राप्ति थाय अने त्यारे ज ते तेमनो उपकार
मानीने कहे के
आ धन आपे ज मने आप्युं;
बीजो एक प्रकार आ छे केते जीव तो अयथाकार्यरूप
इच्छे, जेम के मिथ्यात्व अभक्ष्य अने अन्यायादि कार्योमां प्रवर्ते
अने ते मंदिरादिमां आवे तथा जूठां पूजा, जाप, नमस्कारादि
लौकिक-पद्धतिरूप कार्यो करे छे, तेने ज स्वर्ग
मोक्षनी प्राप्ति
करी दे छे?
वळी, एक विवक्षा आ छे केआ जीव तो अज्ञानी छे
पण तेनां (जिनदेवनां) वचनोथी स्वर्गमोक्षनो मार्ग प्रगट
थयो तेने जाणी भव्यजीवने ते मार्ग ग्रहण करतां स्वर्गमोक्षनी
प्राप्ति थई, तेथी तेमने मोक्षमार्गना दर्शाववावाळा उपकारी
जाणी स्वर्ग
मोक्षना दाता कहीए छीए.
त्यां तमे नयविवक्षा समजी तेमने मार्गोपदेशक जाणी
पछी ‘‘तेमना कहेला साचा मोक्षमार्गने जे ग्रहण करशे तेने
स्वर्ग
मोक्षनी प्राप्ति थशे,’’ एवुं जाणी उपदेशकनो उपकार