गाम आदिने पोतानां मानी तेने उत्पन्न करवा माटे वा संबंध
कायम बन्यो राखवा माटे उपाय करवा इच्छे छे, तथा ए
संबंध थई जतां सुखी थई मग्न थवुं वा तेना वियोगमां
दुःखी थवुं
करवानी इच्छा ते क्रोध छे. कोई परद्रव्यनुं उच्चपणुं अणगमतुं
लागे वा पोतानुं उच्चपणुं प्रगट थवा माटे परद्रव्यनी साथे द्वेष
करीने, तेने अन्यथा परिणमाववानी इच्छा थाय तेनुं नाम मान
छे. कोई परद्रव्यने इष्ट मानीने तेने उत्पन्न करवा अर्थे संबंध
बन्यो राखवा अर्थे वा विघ्न दूर करवा अर्थे जे छलकपटरूप
गुप्त कार्य करवानी इच्छा थवी तेने माया कहे छे, तथा अन्य
कोई परद्रव्यने इष्ट कल्पी तेनाथी संबंध मेळववानी वा तेनो
संबंध राखवानी इच्छा थवी ते लोभ छे. ए चारे प्रकारनी
प्रवृत्तिनुं नाम कषायइच्छा छे.
तथाः