ज प्रमाणे एक विषयसामग्री प्राप्त थतां ज दुःख मटी जाय
तो ते बीजी विषयसामग्री शा माटे इच्छे? कारण के इच्छा
तो रोग छे अने ए इच्छा मटाडवानो इलाज विषयसामग्री
छे, हवे एक प्रकारनी विषयसामग्रीनी प्राप्तिथी एक प्रकारनी
इच्छा दबाय छे, परंतु तृष्णा
इच्छा वळी उपजी आवे छे. ए प्रमाणे सामग्री मळतां
मळतां आयुष्य पूर्ण थई जाय छे अने इच्छा तो बराबर
त्यां सुधी कायम ज लागी रहे छे. त्यार पछी बीजी पर्याय
पामे छे त्यारे ते पर्याय संबंधी त्यांनां कार्योनी नवीन इच्छा
उत्पन्न थाय छे, ए प्रमाणे संसारमां दुःखी थयो थको भ्रमण
करे छे.
कांई (एनो) विचार सन्मुख थईने कर्यो छे? जो ए ज
विघ्न होय तो मुनि आदि त्यागी-तपस्वी तो ए कार्योने
अंगीकार करे छे, माटे विघ्ननुं मूळ कारण अज्ञान
इलाज सम्यग्दर्शन