Sattasvarup-Gujarati (Devanagari transliteration).

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[ सर्वज्ञ सत्तास्वरूप
१६. स्वरूपसाधन वडे वस्तुनो निर्णय करवो; जेम के
कोईना पुत्रने सुंदर कपडांबहु मूल्यवान घरेणां पहेरेलां
जोईने वा उदारतापूर्वक तेने धन खर्चतो जोईने, एवो निश्चय
करवो के आ भाग्यवान पितानो पुत्र छे; तेने स्वरूपसाधनहेतु
कहे छे.
१७. द्रव्यरूप साधन वडे वस्तुनो निर्णय करवो, जेम के
आ लाडु बिलकुल सारा नहि होय, केम के तेमां खराब चीनी
(खांड) पडी छे; ते द्रव्यरूप साधन छे.
१८. क्षेत्र द्वारा वस्तुनो निश्चय करवो, जेम केफलाणा
उत्तमक्षेत्रमां आ धान्य उत्पन्न थयुं छे माटे आ धान्य उत्तम
छे, ए प्रमाणे क्षेत्ररूप साधन छे.
१९. काल द्वारा वस्तुनो निर्णय करवो ते कालरूप साधन
छे. तथाः
२०. भाव द्वारा वस्तुनो निश्चय करवो ते भावरूप
साधन छे.
ए प्रमाणे साधनोनुं स्वरूप कह्युं, पण ते असिद्ध,
विरुद्ध, अनैकान्तिक तथा अकिंचित्कररूप चार दूषणोथी
(हेत्वाभास) रहित होय, के जेथी साध्य निश्चयथी अवश्य सिद्ध
थाय ज अने जेना विना न ज सिद्ध थाय ते साधन छे; तेनाथी
विपरीत साधन पतितरूप (सदोष) छे. एवां (निर्दोष) साधन
वा द्रष्टांत ग्रहण करवां ते तर्कप्रमाण छे.