Shastra Swadhyay-Gujarati (Devanagari transliteration).

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श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर टस्ट, सोनगढ -
धर्मास्ति ज्यां लगी, त्यां लगी जीव-पुद्गलोनुं गमन छे;
धर्मास्तिकाय-अभावमां आगळ गमन नहि थाय छे. १८४.
प्रवचन-सुभक्ति थकी कह्यां में नियम ने तत्फळ अहो!
यदि पूर्व-अपर विरोध हो, समयज्ञ तेह सुधारजो. १८५.
पण कोई सुंदर मार्गनी निंदा करे ईर्षा वडे,
तेनां सुणी वचनो करो न अभक्ति जिनमारग विषे. १८६.
निजभावना अर्थे रच्युं में नियमसार-सुशास्त्रने,
सौ दोष पूर्वापर रहित उपदेश जिननो जाणीने. १८७.
१०२ ]
[ शास्त्र-स्वाध्याय