Shastra Swadhyay-Gujarati (Devanagari transliteration).

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श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर टस्ट, सोनगढ -
जे कर्मफळने वेदतो आत्मा सुखी-दुखी थाय छे,
ते फरीय बांधे अष्टविधना कर्मनेदुखबीजने. ३८९.
रे! शास्त्र ते नथी ज्ञान, जेथी शास्त्र कंई जाणे नहीं,
ते कारणे छे ज्ञान जुदुं, शास्त्र जुदुंजिन कहे; ३९०.
रे! शब्द ते नथी ज्ञान, जेथी शब्द कंई जाणे नहीं,
ते कारणे छे ज्ञान जुदुं, शब्द जुदोजिन कहे; ३९१.
रे! रूप ते नथी ज्ञान, जेथी रूप कंई जाणे नहीं,
ते कारणे छे ज्ञान जुदुं, रूप जुदुंजिन कहे; ३९२.
रे! वर्ण ते नथी ज्ञान, जेथी वर्ण कंई जाणे नहीं,
ते कारणे छे ज्ञान जुदुं, वर्ण जुदोजिन कहे; ३९३.
रे! गंध ते नथी ज्ञान, जेथी गंध कंई जाणे नहीं,
ते कारणे छे ज्ञान जुदुं, गंध जुदीजिन कहे; ३९४.
रे! रस नथी कंई ज्ञान, जेथी रस कंई जाणे नहीं,
ते कारणे छे ज्ञान जुदुं, रस जुदोजिनवर कहे; ३९५.
रे! स्पर्श ते नथी ज्ञान, जेथी स्पर्श कंई जाणे नहीं,
ते कारणे छे ज्ञान जुदुं, स्पर्श जुदोजिन कहे; ३९६.
रे! कर्म ते नथी ज्ञान, जेथी कर्म कंई जाणे नहीं,
ते कारणे छे ज्ञान जुदुं, कर्म जुदुंजिन कहे; ३९७.
रे! धर्म ते नथी ज्ञान, जेथी धर्म कंई जाणे नहीं,
ते कारणे छे ज्ञान जुदुं, धर्म जुदोजिन कहे; ३९८.
अधर्म ते नथी ज्ञान, जेथी अधर्म कंई जाणे नहीं,
ते कारणे छे ज्ञान जुदुं, अधर्म जुदोजिन कहे; ३९९.
३८ ]
[ शास्त्र-स्वाध्याय