Shastra Swadhyay-Gujarati (Devanagari transliteration). PanchAstikAysangrah 1. shaddravya panchastikAy varNan.

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श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर टस्ट, सोनगढ -
श्री
पंचास्तिकायसंग्रह
(पद्यानुवाद)
१. षड्द्रव्य-पंचास्तिकायवर्णन
(हरिगीत)
शत-इन्द्रवंदित, त्रिजगहित-निर्मळ-मधुर वदनारने,
निःसीम गुण धरनारने, जितभव नमुं जिनराजने. १.
आ समयने शिरनमनपूर्वक भाखुं छुं, सुणजो तमे;
जिनवदननिर्गत-अर्थमय, चउगतिहरण, शिवहेतु छे. २.
समवाद वा समवाय पांच तणो समयभाख्युं जिने;
ते लोक छे, आगळ अमाप अलोक आभस्वरूप छे. ३.
जीवद्रव्य, पुद्गलकाय, धर्म, अधर्म ने आकाश ए
अस्तित्वनियत, अनन्यमय ने अणुमहान पदार्थ छे. ४.
विधविध गुणो ने पर्ययो सह जे अनन्यपणुं धरे
ते अस्तिकायो जाणवा, त्रैलोक्यरचना जे वडे. ५.
ते अस्तिकाय त्रिकाळभावे परिणमे छे, नित्य छे;
ए पांच तेम ज काळ वर्तनलिंग सर्वे द्रव्य छे. ६.
अन्योन्य थाय प्रवेश, ए अन्योन्य दे अवकाशने,
अन्योन्य मिलन, छतां कदी छोडे न आपस्वभावने. ७.