श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर टस्ट, सोनगढ -
पूर्वोक्त पर्यायोथी छे व्यतिरिक्त जीव द्रव्यार्थिके;
ने उक्त पर्यायोथी छे संयुक्त पर्यायार्थिके. १९.
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२. अजीव अधिकार
परमाणु तेम ज स्कंध ए बे भेद पुद्गलद्रव्यना;
छ विकल्प छे स्कंधो तणा ने भेद बे परमाणुना. २०.
अतिथूलथूल, थूल, थूलसूक्षम, सूक्ष्मथूल, वळी सूक्ष्म ने
अतिसूक्ष्म — एम धरादि पुद्गलस्कंधना छ विकल्प छे. २१.
भूपर्वतादिक स्कंधने अतिथूलथूल जिने कह्या,
घी-तेल-जळ इत्यादिने वळी थूल स्कंधो जाणवा; २२.
आतप अने छायादिने थूलसूक्ष्म स्कंधो जाणजे,
चतुरिंद्रियना जे विषय तेने सूक्ष्मथूल कह्या जिने; २३.
वळी कर्मवर्गणयोग्य स्कंधो सूक्ष्म स्कंधो जाणवा,
तेनाथी विपरीत स्कंधने अतिसूक्ष्म स्कंधो वर्णव्या. २४.
जे हेतु धातुचतुष्कनो ते कारणाणु जाणवो;
स्कंधो तणा अवसानने वळी कार्यपरमाणु कह्यो. २५.
जे आदि-मध्ये अंतमां पोते ज छे, अविभागी छे,
जे इन्द्रिथी नहि ग्राह्य छे, परमाणु जाणो तेहने. २६.
बे स्पर्श, रस-रूप-गंध एक, स्वभावगुणमय तेह छे;
जिनसमयमांही विभावगुण सर्वाक्षप्रगट कहेल छे. २७.
परिणाम परनिरपेक्ष तेह स्वभावपर्यय जाणवो;
परिणाम स्कंधस्वरूप तेह विभावपर्यय जाणवो. २८.
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[ शास्त्र-स्वाध्याय