९० ][ श्री जिनेन्द्र
भूला हूं मुक्ति की स्वामी डगरियां,
आकर कृपा कर बतादो सांवरिया, जरा लीजो खबरिया,
चौराशीमें होय नहीं धक्के फेर खावना...१
नाग और नागन को जलते उगारा,
नवकार दे कर के जीवन सुधारा, उपकार भारा. २
हम पै भी आज स्वामी दया दिखलावना....
पापी हजारों हैं तुमने उभारे,
पशु और पक्षी अधम हैं उतारे, अंजन से तारे,
नाथ मेरी वार भी देर नहीं लावना....३
पारस पाषाण एक जगमें है नामी,
लोहे को सोना बनादे जो स्वामी, हे गुणके धामी,
नाम जपे तेरा ‘शिव’ पदका हो पावना....४
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श्री जिनवर स्तुति
तुम बिन हमरो कौन सहाई श्री जिनवर उपकारी
शेठ सुदर्शन के संकटमें नाथ! तुम्हीं तो आये थे,
शूली तो सिंहासन कीना उनके प्राण बचाये थे,
सीताजी की अग्नि – परीक्षा तुमने पार उतारी....तुम बिन. १
भविष्यदत्त पर भीड पडी जब तुमको हृदय बिठाया था,
आफत मेटी सारी उसकी सानंद घर पहुंचाया था;
द्रौपदी के चीर हरण की तुमने विपदा टारी...तुम बिन. २