९२ ][ श्री जिनेन्द्र
करके कृपा दुःख मेटो हमारे, ‘पंकज’ खडा तेरे द्वारे....
आवोजी...दर्शन बिना तरसे नैना, नहीं चैन आये....३
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प्रभुजी के चरणाxमx
(चली कौनसे देश...)
लगे आनके नैन सांवरिया तुम चरणनमें....
जाउं मैं बलि बलि है (२) प्रभुजी तुम चरणनमें,
जब से रूप निहारा तेरा भीड भगी विपदा अघ मेटा,
खुले कठोर कपाट हृदय के तुम चरणनमें....१
मोहभावकी तूटी लडियां आत्मबोधकी जुडी सु कडियां,
बांधी ज्ञान गठान प्रभुजी तुम चरणनमें....२
रत्नत्रय निधि प्रगटे मेरी मुक्ति रमा हो पदकी चेरी,
पाउं यह ‘सौभाग्य’ प्रभुजी तुम चरणनमें....३
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श्री जिनवर स्तवन
श्री जिनवर को ध्याउं मैं...पाउं मैं.....
मेरा संकट दूर करो प्रभु मेरी लज्जा आन रक्खो,
मुज दुःखिया के नाथ तुम्हीं हो, जीवन के आधार तुम्हीं हो,
तेरा ही गुण गाउं मैं....१