Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 93 of 208
PDF/HTML Page 103 of 218

 

background image
भजनमाळा ][ ९३
सहाय करी तुमने सीता की चीर बढाया द्रौपदीका,
मेरा भी प्रभु कष्ट नीवारो, पंकज के हृदयमें आओ,
मनकी आशा पाउं मैं....२
दिवाली स्तवन
(दिवाली फिर आ गई सजनी...)
दिवाली नित ही रहे मनमें...
ध्यान का दीप जलाउं...हां....हां....ध्यान का दीप जलाउं,
तेरी छबी है लक्ष्मी मेरे हृदय बिच बिठाउं,
भक्ति भावसे पूजा कर के रोमरोम हरषाउं;
प्रभु दरशनसे, ज्ञान-चरनसें, आतम ज्योति जगाउं....१
आया प्रभु मैं तेरे धामको, लेकर मनकी आशा,
मिट गया अज्ञान अंधेरा चमके ज्ञान हंमेशा,
होने सिद्धि अरु यश वृद्धि एक यही है संदेशा...२
श्री सीमंधार जिन स्तवन
(रास रे घूम्मरीयालाल)
प्रभु तुमारा मुखडा उपर वारी वार हजारी रे....
सुवर्णनगरमां नाथ बिराजे, मूरती मोहन गारी रे...
ज्ञान भर्युं तुज मुखडुं सोहे, दूर करे जगत अज्ञान,