९४ ][ श्री जिनेन्द्र
दर्शन करतां दील बहकावे, तम-मन थाय एकतान;
आज तारी माया लागी जागी ज्योति नीराली रे....प्रभु०
देश – विदेशथी यात्रिक आवे, अजब तीर्थनुं धाम;
बिराजे सीमंधर दादा सहु जनना विश्राम....
चार दिशामां नजर प्रभुनी वरसे उपशम धारा रे,
मानस्तंभनी शोभा वधारी भविकजन आधारा रे....
प्रभु तुमारा मुखडा उपर वारी वारी हजारी रे....
तें छोड्युं जगने प्रभुजी पण जग तो तारुं दास!
पगले पगले चाली आवे भक्तोनी वणझार.
नाथ! तारी विजय पताका शासननी बलिहारी रे....
फरकावे गुरु कहान भरतमां जयजय नाथ तुमारी रे....
प्रभु तुमारा मुखडा उपर वारी वार हजारी रे....
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प्रभुसx लगनी लागी
तुमसे लगनी लागी जिनवर तुमसे लगनी लागी....
अम हैडानां हार प्रभुजी तुमसे लगनी लागी.... १
महा विदेहे प्रभु बिराजो अम आंखोना तारा,
अमी द्रष्टिथी अम बालकने भवथी पार उतार्या....आ तुमसे० २
सीमंधर प्रभुजी आज पधारी जिनमंदिर शोभाव्या,
जिनवर तारा दरशन करतां भवना छेडा आव्या...आ तुमसे० ३