भजनमाळा ][ ९५
विदेही नाथ भरते पधार्या आनंद भेरी वागी,
भक्तिथी अम हैयां ऊछळे मुद्रा देखी तारी....आ तुमसे० ४
दूर दूर प्रभु देश तुमारा विदेह धाम सुहाया,
आनंद सागर ऊछळे तारा एना स्वाद चखाया....आ तुमसे० ५
तुजने भेटु आवी प्रभुजी पगले पगले तारा,
विधविध भावे भक्ति करीने अर्पुं जीवन सारा...आ तुमसे० ६
सादि अनंतनो साथ ज तारो, लगनी तारी लागी,
नंदन विनवे तारा प्रभुजी काटो भवनी बेडी...आ तुमसे० ७
कृपाद्रष्टि प्रभु अम बालक पर वरसे नितनित तारी,
प्रसन्नताथी आतमवृद्धि नित नित मंगलकारी...आ तुमसे० ८
श्री देव-गुरुनुं शरण ग्रहीने जीवन सफळ बनाउं,
भक्तिथी भवपार करीने तुज सम मैं बन जाउं...आ तुमसे० ९
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श्री जिनेन्द्र स्तवन
जगदानंदन जिन अभिनंदन,
पद अरविंद नमूं में तेरे....
अरूनवरन अघताप हरन वर
वितरन कुशल सुशरन बडे रे....
पद्मासन मदन मद भंजन,
रंजन मुनिजन मन अलिके रे...जगदा. १