Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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९८ ][ श्री जिनेन्द्र
श्री जिनेन्द्र स्तवन
भज ले...भज ले....भज ले.....
छोड के ममता, धर के समता, ध्यान रमता....!
प्रभु के जाप को जपना, यह जग सपना, न कोई अपना,
ये दिल चाहे नगर शिवपुर में जाने को मिलाने को....१
यह जग मायामें नहीं शरना प्रभु बिना नहीं तरना,
प्रभु के ध्यान से तेरी तरी नौका मिला मोका....२
कहें ‘पंकज’ नमें मस्तक प्रभु ध्यान सदा ध्याना,
करो भक्ति मिले मुक्ति मैं जाने को मिलाने को....३
श्री अष्टािÛकाभजन
(रागः होरी काफी)
आयो परब अठाई चलो भवि पूजन जाई.....
श्री नंदीश्वर के चहुं दिशमें बावन मंदिर गाई;
एक अंजन गिरि चार दधि मुख रतिकर आठ बनाई;
एक एक दिशमें ये गाई...आयो०
अंजन गिरि अंजन के रंग है दधिमुख दधिसम पाई;
रतिकर स्वर्ण वर्ण है ताकी उपमा वरणी न जाई;
निरूपमता छबि छाई....आयो०