भजनमाळा ][ ९९
स्वर्ग लोक के सर्व देव मिल तहां पूजन को जाई,
पूजन वंदन को हमरो जी बहुत रह्यो ललचाई;
— करुं क्या जा न सकाई....आयो० ३
यातें निज थानक जिन मंदिर तामें थाप्यो भाई;
पूजन वंदन हर्ष से कीनो तन मन प्रीत लगाई;
‘सिखर’ मनसा फल दाई....आयो० ४
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नंदीश्वर जिनधााम – स्तुति
(जय जय जय सब मिलकर बोलो)
हिलमिलकर सब भक्तों चालों नंदीश्वर जिन धाममें.......४
अष्टम द्वीपमें जो है राजे
शाश्वत जहां जिनबिंब बिराजे;
दिव्य जिनालय बावन सोहे;
चहुं दिश वावडी पर्वत शोभे.......
महिमा अति भगवानकी (४) हिल. १
जिनबिंब की शोभा भारी
वीतरागता दर्शक प्यारी;
मानस्तंभ छे रत्नना भारी,
करे देव सेवा सुखकारी.....
जिनेश्वर भगवानकी.....(४) हिल. २