१०२ ][ श्री जिनेन्द्र
गंधोदक छिडकत वसु दिनमें, नहि रहा कुष्ट किंचित तनमें;
भई सात शतककी काया स्वर्ण समानी.....
फल पायो मैना० ८
भव भोग भोगी योगेश भये, श्रीपाल कर्म हनी मोक्ष गये;
दूजे भव मैना पावे शिव रजधानी....
फल पायो मैना० ९
जो पाठ करे मन वच तनसे, वे छूटि जाय भव बंधनसे;
‘मकखन’ मत करो विकल्प जिन वानी....
फल पायो मैना० १०
श्री सिद्धचक्रका पाठ, करो दिन आठ, ठाठसे प्रानी;
फल पायो मैना रानी.....
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श्री नंदीश्वर जिनधााम – भकित
(अब सुणो सहु संदेश.....)
शाश्वत नंदीश्वरधाम जिनेन्द्र के धाम
सदा सुखकारा.....जीवनमें नाथ सहारा.....
अष्टम द्वीपकी शोभा भारी,
इंद्रो की भक्ति अजब प्यारी,
प्रभु भक्ति करी इस जगसें हो भवपारा.....जी. १