Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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१०४ ][ श्री जिनेन्द्र
नहीं धर्म जैनी से बढ कर के कोई, न बढ कर के कोई,
वीरने ही दुनियां में डंका बजायें....४
अनेकान्त तत्त्व है जग से निराला, है जग से निराला,
इसी से ये झगडे मतों के मिटायें....५
तेरी आत्मा ये परमात्मा है, ये परमात्मा है,
पहचान कर के शिव आनंद पायें....६
श्री परमात्मा - भजन
(रागमांड)
म्हारा परमातमा जिनंद कांई थारे मारे
करमांईरो आंटो परमातमा जिनंद (टेक)
जाति नाम कुल रूप सबजी तुम हम एकामेक,
व्यक्ति शक्ति कर भेद दोय कोई कीने करम अनेक.
तुम तो वसुविधि नाशिके भये केवलानंद,
मैं वसुविध वश पड रह्यो मोय करो निर फंद.
अधम उधारण बिरद सुनजी पारस शरण गहीन,
बत्ती दीप समान तुम प्रभु मोये आप सम कीन.