Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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भजनमाळा ][ १०५
श्री जिनेन्द्र स्तवन
तीनों ही भवन के तुम ही आधार, नाथ जग के,
तेरे ही भजन से बेडा हो पार, नाथ जग के (टेक)
नजर नाशा पै धराये, बैठे ध्यान लगाये
राग अरू द्वेष नशाये, तब ही जिनराज कहाये
हो तुम गुण के भंडारे, नाथ जग के....१
नहीं तुजसा कोई ज्ञानी, मधुर तेरी प्रभु वाणी
दयाळु तुम हो जगनामी, नहीं तेरा कोई सानी
तुम हो जग के हितकार नाथ जग के....२
उड्या मोह का घेरा, फक्त है आशरा तेरा
हरो संकट प्रभु मेरा, तेरा ‘शिवराम’ हे चेरा
आया है चरण मंझार, नाथ जग के....३
श्री जिनधार्म भजन
(ए मां तेरे चरणों पे, आकाश झुका देंगेए चाल)
प्राणों से प्यारा, जिन धर्म हमारा है,
संसार से तरने को, इक धर्म हमारा है. (टेक)
है पतित उद्धारक ये मशहूर जमाने में,
अंजन सा अधम पापी, इसहीने उभारा है.
वह धर्म निजातमका, जिनराजने गाया है,
यह वेद पुराणों में हर ठौर उचारा है.