Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 112 of 208
PDF/HTML Page 122 of 218

 

background image
११२ ][ श्री जिनेन्द्र
श्री जिनेन्द्र स्तवन
दीनबंधु हो प्रभो दुःखियों के जीवन प्राण हो,
आनंद सिंधु हो तुम्हीं सारे सुखोंकी खान हो.
घट घट के ज्ञाता आप है क्या आपकी महिमा कहे,
भक्तवत्सल नाथ हो भक्तों की तनकी जान हो.
इन्द्र सुरनर भी तुम्हारा पा नहीं सकते पत्ता,
शक्तियां कहां तक कहे तुम सर्वशक्तिमान हो.
तर गये लाखों बरस वो नाम लेकर आपका,
संसार के हो प्राण तुम जगमें निराली शान हो.
दास को तो प्रेम है शिवका स्वरूप दिखाईये,
तार दो हमको हमारा नाथ तब कल्याण हो.
श्री जिनेन्द्र भजन
नजरियां लाग रही प्रभु ओर....
दीनबंधु वह है जगनायक, दीनन के ये हैं सुखदायक,
उनकी अनुपम कोर....नजरियां लाग रही प्रभु और.
नाम निरंजन सब सुखकंजन, श्री जिनराज सर्वदुःखभंजन,
लगी उन्हीं से डोर...नजरियां लाग रही प्रभु और.
उनकी छबि देख हर्षाते, इन्द्रादिक भी पार न पाते,
प्रेम जगतमें शोर...नजरियां लाग रही प्रभु और.