Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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६ ][ श्री जिनेन्द्र
सब कुवाद वादी सरदार,
जीते स्याद् वाद धुनि सार;
जैनधरम परकाशक स्वाम,
सुमतिदेवपद करहुं प्रणाम...५
गर्भ अगाउ धनपति आय,
करी नगर शोभा अधिकाय,
वरसे रतन पंच दश मास,
नमूं पदम प्रभु सुखकी राश...
इन्द्र फनिंद नरिंद त्रिकाल,
वाणी सुनि सुनि होई खुशाल;
द्वादश सभा ज्ञानदातार,
नमूं सु पारसनाथ निहार...
सुगुन छियालीस हैं तुममांही,
दोष अठारह कोउ नांही;
मोह महातम नाशक दीप,
नमूं चंद्रप्रभ राख समीप...
द्वादशविध तप करम विनाश,
तेरह भेद चरित परकाश;
निज अनिच्छ भवि इच्छकदान,
वंदूं पुष्पदंत मन आन...