Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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भजनमाळा ][ ९
विन उपदेश स्वयं वैराग,
थुति लौकांत करे पग लाग;
‘नमः सिद्ध’ कही सब व्रत लेहिं,
वंदूं मुनिसुव्रत व्रत देहिं... २०
श्रावक विद्यावंत निहार,
भगतिभाव सों दियो अहार;
वरसी रतनराशि ततकाल,
वंदूं नमिप्रभु दीन दयाळ... २१
सब जीवन की बंदी छोड,
राग रोष द्वै बंधन तोर;
रजमति तजि शिवतिय सों मिले,
नेमिनाथ वंदूं सुख निले... २२
दैत्य कियो उपसर्ग अपार,
ध्यान देखि आयो फनिधार;
गयो कमठ शठ मुख कर श्याम,
नमुं मेरु सम पारस स्वाम... २३
भव सागर तें जीव अपार;
धरम पोत में धरे निहार;
डूबत काढे दया विचार,
वर्द्धमान वंदूं बहु वार... २४