भजनमाळा ][ १३
जन्म जरा मरणो त्रण दोष
लगे हमको प्रभु काल अनाई,
तासु नसावन को तुम नाम
सुन्यो हम वैद्य महा सुखदाई,
सो त्रय दोष निवारनको
तुमरे पद सेवतु हों चित्त ल्याइ,
बार हिं बार पुकारतु हों
जनकी विनति सुनिये जिनराई.... २
देखी दुःखी पर होत दयाल
सु है इक ग्रामपति शिरनाई,
हो तुम नाथ त्रिलोक पति
तुमसे हम अर्ज करे शिरनाई;
मो दुःख दूर करो भवके तसु
कर्मनतें प्रभु लेहु छुटाई,
बार हिं बार पुकारतु हों
जनकी विनति सुनिये जिनराई.... ३
मोह बडे रिपु है हमरे
हमरी बहु हीन दशा कर पाई,
दुःख अनंत दिये हमको
हर भांतिन भांतिन दोष लगाई;
मैं इन वैरिन के वश ह्वै
करिके भटक्यो सु कह्यो नहीं जाई,