भजनमाळा ][ १९
‘चंदराम’ करे थुतिजी, वसु अंग थकी नुतिजी,
गुण पूरन द्यो मति मम तुं हे लहै जी. १०
प्रभु अरज हमारी जी, सुनिजो सुखकारी जी,
भवमें दुःखभारी निवारो हो घणी जी;
तुम शरन सहाई जी, जगके सुखदाई जी,
शिव दे पितु माई कहों कबलों घणी जी. ११
(घत्ता)
इति गुणगण सारं, अमल अपारं, जिय अनंत के हिय धरई;
हनि जर मरणावलि, नासि भवावलि, शिव सुंदरी ततछिन वरई.
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महावीरस्वामी भजन
(हरिगीत)
जय महावीर जिनेन्द्र जय भगवन! जगत् रक्षा करो,
निज सेवकों के भवजनित संताप को कृपया हरो.
हैं तेज के रवि आप हम अज्ञान तममें लीन हैं,
है दया सागर आप हम अति दीन हैं बलहीन हैं. १
दानी न होगा आपसा हमसा न अज्ञानी कहीं,
अवलंब केवल हैं हमारे आप ही दूजा नहीं.
भवसिंधु के भवभ्रमरमें हम डूबत हैं हे प्रभो,
अब सुन के पुकार मेरी आ बचाओ हे विभो. २