Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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भजनमाळा ][ २१
जय जय महावीर प्रभो जगको जगाकर आपने,
मिथ्यात्व
जन्य अनंत दुःखों सें छुडाकर आपने,
इस लोकको सुरलोक से भी परम पावन कर दिया,
अज्ञान
आकर विश्वको प्रज्ञानसागर है किया...
श्री पद्मप्रभु स्तवन
(दोहा)
शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करुं प्रणाम;
उपाध्याय आचार्यका, ले सुखकारी नाम,
सर्व साधु अरु सरस्वती, जिनमंदिर सुखकार;
छठ्ठे जिनवर पद्म को मन मंदिर में धार.
(चोपाई)
जय श्री पद्मप्रभु गुणधारी, भविजन के तुम हो हितकारी;
देवों के तुम देव कहाओ, पाप भक्त के दूर हटाओ.
तुम जगमें सर्वज्ञ कहाओ, छठ्ठे तीर्थंकर कहलाओ;
तीनकाल तिहुं जगकी जानो; सब बातें क्षणमें पहिचानो. २
वेष दिगंबर धारन हारे, तुमसे कर्म शत्रु भी हारे,
मूर्ति तुम्हारी कितनी सुंदर, द्रष्टि सुखद जमती नासा पर. ३
क्रोध मान मद लोभ भगाया, राग
द्वेष का लेश न पाया,
वीतराग तुम कहलाते हो, सब जग के मनको भाते हो. ४