Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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भजनमाळा ][ २३
श्री चंद्रप्रभु स्तवन
(दोहा)
हे मृगांक अंकित चरण, तुम गुण अगम अपार,
गणधर से नहीं पार लहीं, तो को वरतन सार.
पै तुम भगति हिये मम, प्रेरै अति उमगाय,
तातैं गाउं सुगुन तुम, तुम ही होउ सहाय.
(छंद पद्धरि १५ मात्रा)
जय चंद्र जिनेन्द्र दया निधान,
भव कानन हानन दौं प्रमान;
जय गरभ जनम मंगल दिनंद,
भवि जीव विकाशन शर्मकंद.
दशलक्ष पूर्व की आयु पाय,
मन वांछित सुख भोगे जिनाय;
लखि कारण ह्वै जगतैं उदास,
चित्यो अनुप्रेक्षा सुखनिवास.
तित लौकांतिक बोध्यो नियोग,
हरि शिबिका सजी धरियो अभोग;
तापै तुम चढि जिनचंदराय,
ता छिनकी शोभा को कहाय.
जिन अंग सेत सित चमर ढार,
सित छत्र शीस गल गुलकहार.