Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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भजनमाळा ][ २५
जहां तरु अशोक शोभै उत्तंग,
सब शोक तेना चूरे प्रसंग. ११
सुर सुमनवृष्टि नभतें सुहंत,
मनु मन्मथ तज हथियार जात;
वानी जिनमुखसों खिरत सार,
मनु तत्त्व प्रकाशन मुकुर धार. १२
जहं चौसठ चमर अमर ढुरंत,
मन सुजस मेघ झरि लगिय तंत;
सिंहासन है जहां कमल जुक्त,
मनु शिव सरवरको कमल शुक्त. १३
दुंदुभि जित बाजत मधुर सार,
मनु करम जीत को है नगार;
शिरछत्र फिरै त्रय श्वेत वर्ण,
मनु रतन तीन त्रय ताप हर्ण. १४
तन प्रभातनों मंडल सुहात,
भवि देखत निज भव सात सात;
मनु दर्पणद्युति यह जगमगाय,
भविजन भवमुख देखत सु आय. १५
इत्यादि विभूति अनेक जान,
बाहिज दीसत महिमा महान;