भजनमाळा ][ २९
श्री सीमंधारजिन स्तवन
(आज हम जिनराज तुम्हारे द्वारे आये...)
नाथ हो लवलीन तुम्हारी महिमा गावें....
हां जी हां....हम गावें गावें....नाथ हो०
हे जगनायक सीमंधर स्वामी...
तारो तो तिर जायें....हां....हम गावें....
ज्ञान रविसे हृदय दीपायें
मिथ्या तिमिर भगायें,
राग – द्वेष आवरण हठाकर,
केवल ज्योति जगायें...हां...हम...गावे....१
भक्तिरूप साबुनसे जीयके
दर्पन को चमकावें!
मोह पंक हटाकर उरसे
निर्मल मन को बनावे....हां...हम गावे....२
सरल मुक्ति पथ करो हमारी
सविनय शीश नमावें!
‘वृद्धि’ कहता बन अनुगामी
नितप्रति ध्यान लगावे....हां...हम गावें....३
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