Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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३२ ][ श्री जिनेन्द्र
निज ज्ञानदीपक मेरा प्रभु! आप प्रकाशो
ज्योति विमल ज्ञानकी प्रभु शीघ्र जगा दो....४
श्री सीमंधार जिन स्तवन
(आज मैं महावीरजी....)
अय सीमंधर नाथजी! मैं आया तेरे दरबार में,
कब सुनाई होगी मेरी आपके सरकार में...(४)
तेरी कृपासे यह माना भक्त लाखों तिर गये,
क्यों नहीं मेरी खबर लेते (मैं) रहा दूर देश में....(४)
देव! कीजे द्रष्टि हम पर, साथ दीजे जीवनमें,
नाथ मारग मुक्तिका देखा तेरे दरबारमें....(४)
रत्नत्रय दे तो प्रभुजी, है यह इतनी आरजू,
नाव मेरी शीघ्र पहुंचे दुनियां के पेले पारमें....(४)
जैसे गणधरदेव बैठे नाथ! तेरी चरण में,
हमकों भी दे तो जगह प्रभु! आपके दरबार में....(४)
आपकी दिव्यध्वनि होती विदेह के धाममें,
संदेश यहां उसकी सुनाई मेरे गुरुवर कहानने....(४)
मुशकिलें आसान कर दो अपने भक्तों की प्रभु,
यह विनय तुम बालकी बस आपके दरबारमें....(४)