Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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४२ ][ श्री जिनेन्द्र
श्री जिनेन्द्र स्तवन
एक तुम्हीं आधार हो जगमें, अय मेरे भगवान
कि तुमसा और नहीं बलवान.
सम्हल न पाया गोते खाया, तुम बिन हो हैरान
कि तुमसा और नहीं गुणवान.
आया समय बडा सुखकारी आतमबोध कला विस्तारी,
मैं चेतन तन वस्तु न्यारी स्वयं चराचर झलकी सारी;
निज अंतरमें ज्योति ज्ञानकी, अक्षयनिधि महान
कि तुमसा और नहीं भगवान.
दुनियांमें एक शरण जिनंदा, पापपुण्यका बुरा फंदा,
मैं शिवभूत रूप सुख कंदा ज्ञाताद्रष्टा तुमसा बंदा;
मुज कारजके कारण तुम हो, और नहीं मतिमान
कि तुमसा और नहीं भगवान.
सहज स्वभाव भाव अपनाउं पर परिणतिसे चित्त हटाउं,
पुनि पुनि जगमें जन्म न पाउं, सिद्ध समान स्वयं बन जाउं;
चिदानंद चैतन्य प्रभुका, है सौभाग्य प्रधान....
कि तुमसा और नहीं भगवान.