Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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भजनमाळा ][ ४५
[४] कैसे केवल ज्ञान उपायो
अंतराय कैसे किये निर्मूल,
सुरनर सेवे मुनि चर्ण तुमारे
तो भी नहीं प्रभु तुमकुं गरूर....किसविध.
[५] करत आश अर दास नैन सुख
कीजे यह मोहे दान जरूर,
जनम जनम पद पंकज सेवुं
और न चित्त कछु चाह हजूर....किसविध.
श्री जिनेन्द्र-स्तवन
(तुमसे लागी प्रीतः प्रभुजी)
तुमसे लागे नैन प्रभुजी...तुमसे लागे नैन...
सुनकर सुयश सुखद शिवदानी, नाम तुम्हारी श्री जिनवाणी,
आन पडे है चरन शरणमें भवभ्रमसे बेचेन प्रभुजी.
सहज स्वभाव भाव निज प्रगटे, क्रूर कुभाव स्वयं सब विघटे,
ज्ञानानंद दिवाकर लखकर बीत गई दुःख रैन प्रभुजी.
तुम समान नाहीं जगमांही, कहै जिसे प्रभु लख प्रभुताहीं,
तीनलोक सिरमोर धन्य है तुम गुणमणि सुख दैन प्रभुजी.
ज्ञाताद्रष्टा है अविनाशी, अतुल वीर्य बल सुखकी राशी,
निज पदके सौभाग्य सखा हो कारण तुम जिन वैन प्रभुजी.४