Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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५० ][ श्री जिनेन्द्र
त्रिशला उर अवतार लिया प्रभु सुरनर हर्षाये,
पन्द्रह मास रतन कुंडलपुर धनपति वर्षाये.
शुक्ल त्रयोदशी चैत्र मासकी आनंद करतारी,
राय सिद्धारथ घर जन्मोत्सव ठाड रचे भारी.
तीस वर्ष लौ रहे महलमें बाल ब्रह्मचारी,
राज त्याग कर यौवन में ही मुनिदीक्षा धारी.
द्वादश वर्ष किया तप दुर्धर विधि चकचूर किया,
झलके लोकालोक ज्ञानमें सुख भरपूर लिया.
कार्तिक श्याम अमावस के दिन प्रातः मोक्ष चले,
पूर्व दिवाली चला तभी से घर घर दीप जले.
वीतराग सर्वज्ञ हितैषी शिव मग परकाशी,
हरि हर ब्रह्मा नाथ तूंही हो जय जय अविनाशी.
दीन दयाला जगप्रतिपाला सुर नर नाथ जपैं,
सुमरत विघन टरें इक छिनमें पातक दूर भजैं.
चोर भील जैसे भी उबारे भव दुःख हरण तूंही,
पतित जान ‘शिवराम’ उबारो हे जिन शरन तूंही.