भजनमाळा ][ ५१
श्री महावीर – भजन
(प्रभु दर्शन कर जीवनकी.....)
चाह मुझे है दर्शनकी, वीर के चरण स्पर्शन की (टेक)
वीतराग छबी प्यारी है जग जनकी मनहारी है
मूरति मेरे भगवन की....१
हाथ पै हाथ धरा ऐसे, करना कुछ न रहा जैसे
देख दशा पद्मासन की....२
कुछ भी नहीं सिंगार किये, हाथ नहीं हथियार लिए
फौज भगाइ कर्मन की....३
समता पाठ पढाती है, ध्यान की याद दिलाती है
नासा द्रष्टि लखो इन की....४
जो शिव आनंद चाहो तुम, इनसा ध्यान लगाओ तुम
विपत हरे भव भटकन की....५
✽
श्री महावीर जिन – स्तवन
(आज तेरे गुणगान....)
झुकाओ वीर प्रभु को माथ, सुज्ञानी ध्यान धरो दिन रात
शरणमें आओ जी जोडो हाथ...टेक