Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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५२ ][ श्री जिनेन्द्र
वीरने जो उपकार किये हैं, उनको नहीं भुलायें
हम धन्यवाद प्रभुका गायें, आओ उत्सव ठाठ रचायें
मिलकर सारे बोलो प्यारे, जय जय सन्मति नाथ....१
चैत सु तेरस मंगलकारी, जन्मे श्री जिनराये
आनन्द कुंडलपुरमें छाये, हैं सब तीन लोक हरषाये
त्रिशला माता हैं सुखदाता, राय सिद्धारथ तात....२
‘दंसणमूलो धम्मो’, सबको यह सन्देश सुनाया,
जगको भेदज्ञान सिखलाय और सिद्धान्त-मर्म समझाया
‘शिवराम’ सुप्यारा तत्त्व है न्यारा स्याद्वाद विख्यात. ३
वीर के द्वार पुजारी आया
( हे वीर तुम्हारे द्वारे पर.....)
वीर तुम्हारे कई उपासक रंगढंग से आते हैं,
सेवामें बहुमूल्य वस्तुयें रंग-बिरंगी लाते हैं;
धूमधामसे साज बाजसे मंदिरमें वे आते हैं,
मुक्तामणि बहु मूल्य वस्तुयें तुम्हें चढाने आते हैं...हे वीर.
हूं गरीब मैं ऐसा कुछ भी अपने साथ नहीं लाया हूं,
धूप दीप नैवेद नहीं अरु पूजाका सामान नहीं....
मनका भाव प्रगट करनेका वाणीमें चातुर्य नहीं,
पूजाकी विधि नहीं जानुं फिर भी नाथ! चला आया...हे वीर.