Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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भजनमाळा ][ ५३
पूजा और पूजापा, प्रभुवर! इसी पूजारी को समझो,
होकर प्रेरित प्रेम-भक्ति से हृदय दिखाने आया हूं;
जो कुछ है बस पास यही है इसे चढाने आया हूं;
चरनोंमें अर्पित हो जाउं हे नाथ! भक्त-स्वीकार करो,
खडा पुकारे दास आपका प्रभु! मुझे भवपार करो....हे वीर.
श्री विदेहीनाथभजन
(हे वीर तुम्हारी मुद्राका....)
हे नाथ! तुम्हारे द्वारे पर यह भक्त तुम्हारा आया है;
जुगजूनी प्रीत निभाने को भरनयन देखने आया है....
भवभवके दुःखसे कायर हो आज शरन तुम्हारी आया है;
चरन सहारा पाकर के अब मुक्ति पुरमें आना है.
तेरा प्रेम पुजारी आया है चरनों में ध्यान लगाने को;
भगवान तुम्हारी मूरत पर श्रद्धा के फूल चढाने को.
तुम सत्यवती द्रगके तारे हो भक्तों के नाथ सहारे हो;
तुम मोक्षमार्ग दिखलाते हो भक्तों का हित बढाने को.
उपदेश धर्मका देते हो प्रभु विदेहदेश बिराजत हो;
भारतमें स्वामी आ जाओ सेवक को सुधा पिलाने को.
वियोग तुमारा हे स्वामी! अंतर व्यथा बढती जाती,
आवो एकवार प्रभु आओ तुम भक्त को दर्शन देने को.