भजनमाळा ][ ५७
श्री श्रेयांसनंद दुलारे, सत्य माता लाड करावें,
मैं उनसे तान लगाकर जिनगुण गावुं रे...मैं. १
श्री सीमंधर प्रभुको ध्याउं, प्रभु दरशन मैं कब पावुं!
मैं पूर्व विदेह के प्रभुको कब झट देखुं रे...मैं. २
शशीधरसे मैं संदेश भेजुं, फिर प्रभुजीसे उत्तर पावुं,
मैं प्रभुका संदेश पाकर आनंद पावुं रे....मैं. ३
मैं जिनवर से मिल जावुं, जिनदेव के भक्त कहाउं,
मैं प्रभुजी के दरशन पाकर हरषित होउं रे...मैं. ४
मैं कलरव कलरव गावुं, अरु मंगलनाद बजावुं,
मैं उल्लसित हो जगभूल के जिन गुण गावुं रे...मैं. ५
प्रभु परमेष्ठी पंच ध्यावुं, श्रुतदेवी माता भावुं,
मैं सब संतन के चरणों बलि बलि जावुं रे...मैं. ६
मैं सम्यक्दर्शन भावुं, अरु ज्ञान चरित मिलावुं,
वरदान प्रभुसे पाकर प्रभु सम थाउं रे....मैं. ७
मैं मुक्ति के पथ धावुं, सिंहनाद से कर्म हठावुं,
गुरु कहान की बंसी सुनकर ठगमग डोलुं रे...मैं. ८
गुरु – वाणीका तीर लगावुं, मोह मल्ल को दूर भगावुं,
जीत मोह, का’न गुरुवर की जय जय बोलुं रे.
गुरु – धर्म ध्वजाको जग फर फर फरकावुं रे...मैं. ९
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