Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 58 of 208
PDF/HTML Page 68 of 218

 

background image
५८ ][ श्री जिनेन्द्र
श्री जिनेन्द्र-स्तुति
(रागः तोटक जेवो)
जिन भजके भवका पार लहुं,
दुःखिया के दुःख मिटावो प्रभु;
प्रभु सुमरनसें भ्रम निंद भगी,
जिनवानी सुनी हिय उमंग जगी.
गुरुवचनोंसे जिय चेत जगी,
प्रभु भक्तिकी है लगन लगी;
जिन भजके भवका पार लहूं,
बस जिनवरके गुणगान करुं.
जिन चरणोंमें नित शरण चहुं,
निर्मलतर ये रुचि भाव धरुं;
तुम चरणांबुज मम हियबिच हो,
निश्चल चिन्मूरत विलसित हो.
मंगलमय देव त्रिलोक पति,
उत्तम अविकार नमुं श्रीपति;
शरणागत के शरणोत्तम हो,
शाश्वत सुखमें संस्थापक हो.
प्रभु भजके भवका पार लहूं;
निर्मल भक्तिकी नाव गहूं;