Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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भजनमाळा ][ ५९
प्रभुके पद मम हृदयांकित हो,
गुन गाउं रटुं परमातम को.
कैसे कहूं प्रभु महिमा तोरी,
थक जाय विकल बुद्धि मोरी;
भवरोग के दोष मिटायक हो,
वर शांति जिनेश सहायक हो.
जिनगुण संपत्त वर द्यो जिनजी,
सुनिजो विनति सीमंधर जिनजी;
कृतकृत्य सुबोधि समाधि दीजो,
प्रभु भक्ति सदा जयवंत हजो.
जिन भजके भवका पार लहूं;
प्रभु भजके भवका पार लहूं;
गुरु भजके भवका पार लहूं;
बस! एक यही मन आश धरूं.
श्री जिनेन्द्रदेवने विनंति
(अहो....सीमंधरनाथ, ज्ञायक अंतरयामीए राग)
अहो जगतगुरु एक सुनियो अरज हमारी;
तुम हो दीनदयाळ मैं दुखिया संसारी.
इस भव वनमें बादि काल अनादि गमायो;
भ्रम्यो चहुंगति मांही सुख नहि दुःख बहु पायो.