भजनमाळा ][ ६३
यह भवदुःखसे छूटनेका आधार यही
भव तिरनेका उपचार यही. (२)
घनघोर तिमिर अज्ञान हटाकर आया हुं. मैं० १
आशा ही नहि विश्वास सही,
आये जो शरन जगजीत अमर
सौभाग्य चढे हैं मुक्त महल;
कहते हैं सुगुरुवर ज्ञान प्रखर स्वामी
स्वामी तुं तीन लोकका तारा है,
और मैं चरणोंका प्यारा हूं. मैं० २
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श्री महावीर जिन – भजन
तुम्हीं हो एक सहारे...त्रिशलानंद दुलारे.
अबलों अधम अधोगति अगणित, रुल रुल जीवन धारे,
करकश क्रूर कठोर मोहने केदी कर कर मारे. १
बार बार दुःखदर्द दलित हो, दीनपति तव द्वारे,
आकर आज चरनमें अरजी, अर्पित करी तुम्हारे. २
तुमने तसकर तिर्यंचादिक ततछिन तीर उतारे,
तारणतरण तेज तज तेरा क्यों भटके अंधियारे. ३
साख सुसिद्ध सुनी शासनकी, मन सारंग हमारे,
शिव सौभाग्य साधना सेती जय जय गान उचारे. ४
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