६४ ][ श्री जिनेन्द्र
श्री महावीर – भजन
(हे वीर! तुमारी मुद्राका....)
महावीर तुमारा यश गाने, इक भक्त द्वार पर आया है,
श्री वीर तुम्हारी करुणासे, नव हार गूंथ कर लाया है. १
तेरी आकर्षक प्रतिमा लख, वह दिलमें बहुत हर्षाया है;
हे गुण भंडारे वीर प्रभो, तेरा गुण गाने आया है. २
हे शक्ति अपारा वीर प्रभो, नव आशा लेकर आया है,
करुणाकर आशा कर पूरी, अब शरण तिहारी आया है. ३
हे दीननाथ दया सागर, महावीर गुणों के मधु आगर,
कृपाकर दर्शन दे दीजे, अरदास प्रभो यह लाया है. ४
सर्वस्व हृदय के कर्णधार, सेवक आशा के नव सितार,
‘शेठी’ को पार उतारो अब, गुण गाने तेरा आया है. ५
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श्री जिनराज – भजन
दिनरात ये, तुमसे है लगन कि रहुं तुझमें ही मगन....दिनरात ये.
मतलबी संसार से अब ऊब गया मन,
दौडकर जिनराज तेरी आ गया शरन,
आजसे तुमारा हुआ, तुम मेरे भगवन्....तुं. १
यह चहूं प्रभु कि मेरा बंध तूट जाय,
भवसे पार होने का अवसर आ जाय,
है यही विनय कि तेरा शीघ्र हो मिलन...तुं. २