Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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६४ ][ श्री जिनेन्द्र
श्री महावीरभजन
(हे वीर! तुमारी मुद्राका....)
महावीर तुमारा यश गाने, इक भक्त द्वार पर आया है,
श्री वीर तुम्हारी करुणासे, नव हार गूंथ कर लाया है.
तेरी आकर्षक प्रतिमा लख, वह दिलमें बहुत हर्षाया है;
हे गुण भंडारे वीर प्रभो, तेरा गुण गाने आया है.
हे शक्ति अपारा वीर प्रभो, नव आशा लेकर आया है,
करुणाकर आशा कर पूरी, अब शरण तिहारी आया है.
हे दीननाथ दया सागर, महावीर गुणों के मधु आगर,
कृपाकर दर्शन दे दीजे, अरदास प्रभो यह लाया है.
सर्वस्व हृदय के कर्णधार, सेवक आशा के नव सितार,
‘शेठी’ को पार उतारो अब, गुण गाने तेरा आया है.
श्री जिनराजभजन
दिनरात ये, तुमसे है लगन कि रहुं तुझमें ही मगन....दिनरात ये.
मतलबी संसार से अब ऊब गया मन,
दौडकर जिनराज तेरी आ गया शरन,
आजसे तुमारा हुआ, तुम मेरे भगवन्....तुं.
यह चहूं प्रभु कि मेरा बंध तूट जाय,
भवसे पार होने का अवसर आ जाय,
है यही विनय कि तेरा शीघ्र हो मिलन...तुं.