भजनमाळा ][ ६५
तुम भुला दो मुझको चाहे मैं न भुलाउं,
मैं सदा निज मनमें तेरा ध्यान लगाउं,
अष्टप्रहर भक्ति गान गा रहा ‘रतन’....तुं. ३
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श्री जिनवर भजन
(भक्ति भाव भजके....)
भजु भाव सजके जग माया तज के
चले जाउं प्रभुके सामने.....चले जाउं.
सम्यक् दर्शन सजके ज्ञान – चरित भजके
चले जाउं प्रभुके सामने....चले जाउं. १
दिल लगाके कभी न भूलना,
भाव लगाकर धुनमें झूलना...धुनमें.
तरुं भव जलसे, भजी शुद्ध दिलसे,
गीत गाउं प्रभुके सामने...गीत गाउं. २
भक्ति की धुनमें प्रीति है जिन से,
जगकी झंझटमें भूलुं न दिलसे...भूलुं न
जिनवाणी सुनके मैं मयुर बन के
नाच नचुं प्रभुके सामने...नाच नचुं. ३
जाना है हमको मुक्ति के किनारे,
जीवन है सुपरत प्रभुके सहारे...प्रभुके.