६६ ][ श्री जिनेन्द्र
प्रभु चंद्र स्मर के मैं चकोर बनके,
चले जाउं प्रभुके सामने चले जाउं. ४
भूली दुनियां के मैं भजन करुंगा,
प्रभुको भजके मैं मोक्ष वरुंगा...मोक्ष.
जैन झंडा फहराके आत्मभाव जगाके,
चले जाउं प्रभुके सामने....चले जाउं. ५
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श्री महावीर जिन – भजन
(वीर तेरे चरणोंमें झूमे झूमे)
वीरके चरणोंका हमें तो एक सहारा है,
शरणमें आये हैं न कोई ओर हमारा है. (टेक)
जिन का है शुभ नाम जगतमें जिनका है शुभ नाम,
काटे कष्ट तमाम जगत के काटे कष्ट तमाम;
ऐसा है महावीर उन्हीं को आन पुकारा है. १
तोड कर्म का जाल जगतमें तोड कर्मका जाल,
कर दिया निहाल जगत को कर दिया निहाल;
धर्म की रेलमछेल वही तो करने हारा है. २
तुम हो दीनानाथ प्रभुजी तुम हो दीनानाथ,
हम हैं दीन अनाथ प्रभुजी हम हैं दीन अनाथ;
वीतराग मशहूर वीर इक देव हमारा है. ३