६८ ][ श्री जिनेन्द्र
श्री महावीर – जन्मकल्याणक
(कहे राजुलदे नार....जरा मेरी भी पुकार....)
कुंडलपुरी के मंझार, छाया हरष अपार,
सुनो सुनो नरनार
चलोजी वहां जय जय बोलिये,
रसना खोलिये....(टेक)
ओ, चैत सु तेरस आई,
क्या सुन्दर प्रभात है लाई,
चले सुगंध बयार,
है वसंत की बहार...सुनो० १
ओ, उत्सव कहो क्या है आज जी,
क्यों हर्षित है सारा समाज जी,
बाजे बजे हैं अपार,
सुरनर बोले जयजयकार...सुनो० २
ओ, जन्मे हैं वीर भगवानजी,
उनका करने को जन्म कल्याणजी,
आये देव हैं अपार,
जायें सुमेरु पहाड...सुनो० ३
ओ, हम भी तो उत्सव मनायें,
करें न्हवन प्रभु गुण गायें,