७२ ][ श्री जिनेन्द्र
आप विदेह के हो तीर्थंकर दिव्यध्वनि के दाता,
भरतक्षेत्रमें धर्मवृद्धि प्रभु! तारा नंदन द्वारा....जय २
भरतक्षेत्रना भक्तो तारी करे हृदयसे सेवा,
भव भव होजो भक्ति तुमारी ओ...देवनके देवा....जय ३
सुवर्णपुरीमें नाथ पधार्या.....दरशन दासने देवा,
भव भवमें प्रभु प्रीत तुमारी चाहुं चरणमें रहेवा....जय ४
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श्री पासर प्रभुकी धाून
जय पारस जय पारस जय पारस देवा....
माता तोरी वामा देवी पिता अश्वसेना,
काशीजीमें जन्म लिया प्रभु हो देवन के देवा....जय १
आप तेईसवें हो तीर्थंकर भक्तो को सुखमेवा,
पांचो पाप मिटाकर हमरे शरण देए जिन देवा....जय २
दूजो और कोई ना दीखे पार लगाओ खेवा,
आनंद मंगल वृद्धि होवे जो करे आपकी सेवा....जय ३
नागिन – नाग बचाकर तुमने भवसे किया पारा,
वैरागी हो मुनिपद धारे वंदन आज अमारा....जय ४
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