Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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७२ ][ श्री जिनेन्द्र
आप विदेह के हो तीर्थंकर दिव्यध्वनि के दाता,
भरतक्षेत्रमें धर्मवृद्धि प्रभु! तारा नंदन द्वारा....जय
भरतक्षेत्रना भक्तो तारी करे हृदयसे सेवा,
भव भव होजो भक्ति तुमारी ओ...देवनके देवा....जय
सुवर्णपुरीमें नाथ पधार्या.....दरशन दासने देवा,
भव भवमें प्रभु प्रीत तुमारी चाहुं चरणमें रहेवा....जय
श्री पासर प्रभुकी धाून
जय पारस जय पारस जय पारस देवा....
माता तोरी वामा देवी पिता अश्वसेना,
काशीजीमें जन्म लिया प्रभु हो देवन के देवा....जय
आप तेईसवें हो तीर्थंकर भक्तो को सुखमेवा,
पांचो पाप मिटाकर हमरे शरण देए जिन देवा....जय
दूजो और कोई ना दीखे पार लगाओ खेवा,
आनंद मंगल वृद्धि होवे जो करे आपकी सेवा....जय
नागिननाग बचाकर तुमने भवसे किया पारा,
वैरागी हो मुनिपद धारे वंदन आज अमारा....जय