भजनमाळा ][ ७३
श्री जिनराज – भजन
भक्ति जिनराज है मुक्ति की ये नाव है...
आजा महावीर प्रभु तेरा ही आधार है...
तुमको अंखिया ढूंढ रही हैं,
दरशन तो दिखलाजा,
आवगमन मिटाकर भगवन्!
जगसे पार लगाजा...भक्ति. १
भाई-बंधु कुटुंब कबीला सब जिनवरको माना,
प्रतिसमय जो जिनको ध्यावे,
मिटे तो आना जाना....भक्ति. २
जिसने ध्यान लगाया तुमसे बेडा पार लगाया,
सारी जगको भूलकर भगवान,
तुमसे ध्यान लगाया....भक्ति. ३
✽
श्री सीमंधार प्रभुकी स्तुति
आओ करें सभी नर नारी, भक्ति सीमंधर प्रभुकी.
शुद्ध भावसे जय जय बोलें,
रत्नदीप ले थाल संजो ले,
ज्ञानज्योति रस घट घट धोवें....कर भक्ति प्रभुकी. १