Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 78 of 208
PDF/HTML Page 88 of 218

 

background image
७८ ][ श्री जिनेन्द्र
ओ....नाथ निरंजन जगतपति,
यों माना कि तुम वैरागी हो.
है नाम तुम्हारे नैया से
भव पार लागने वाले हैं....१
रस आपके वचनोंमें कहते हैं यह,
इक वार पीये जो होते अभय.
दो घूंट पिला दो ज्ञान सुधा
अभी वह दिन आने वाले हैं...२
अब आवागमनसे मुक्ति मिले,
भव भीड भगे शुभ ज्योति जगे,
‘सौभाग्य सफल कर जीवन का,
नहीं और बचाने वाले हैं....३
श्री पद्मप्रभु जिन स्तवन
भव भव के बंधन काट प्रभु, मैं शरण तिहारी आया हूं,
गतियों के दुःख से दुःखी हुआ और जन्मोंसे घबराया हूं.
जो जनम मरनके दुःख सहे नहीं हमसे बचनसे जाय कहे,
इस दुःखसे मेरा उद्धार करो अर्जीये लगाने आया हूं...भव.
जब तक मैं तेरे शरण रहूं, निश्चल निर्भय ही रहा करुं,
प्रभु दे दीजे अब रत्नत्रय मैं वहीं लेने को आया हूं...भव.