भजनमाळा ][ ८१
अब तो जनम मरन की काटो हमारी फांसी,
सीमंधर नाथ! जलदी मुक्ति करादो खासी. २
अंजन से चोरको भी तुमने किया निरंजन,
श्रीपाल कुष्टिकी भी काया बनाई कंचन,
मेंढकसा जीव भी जब तुम नामसे तिरा है,
‘पंकज’ यह सोच तेरे चरणोंमें आ गिरा है. ३
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श्री महावीर जिन स्तवन
ओ....त्रिशलानंदन, भूल हमें मत जाना...ओ
जब तक जीउं तुमको ध्याउं, जनम जनममें तुमको पाउं,
मेरी लाज निभाना....ओ....१
संकट मोचन नाम तुम्हारा, शरणागत को तारणहारा,
हमने अब पहिचाना....ओ...२
विपदाओं के बादल छाये, नैया मेरी गोते खाये,
‘पंकज’ इसको कौन बचाये, तुमही पार लगाना...ओ....३
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श्री जिनेन्द्र – स्तवन
जीवन ज्योति जगाउं, तिहारे गुण गाउं, ए वीर! दे दो दरश..वा.
नैनां बीच समाई, जिया नहीं लागे कहीं, अब दे दो दरश वा.