Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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८२ ][ श्री जिनेन्द्र
चरणोंका चाकर हूं, प्रभुजी मैं करलूं.....(२)
भक्ति भावसे तेरी पूजा करी भवसागर तर लूं....१
तेरे निर्मल दर्शन को यह नैन पसारी झोली....(२)
आवागमन छुडा दो प्रभुजी होनीथी सो होली....२
दीनानाथ दयाके सागर मुझ दुःखियाकी सुनलो करुण कहानी,
फैला दे सौभाग्य जिनका धर्म यही है ठानी....३
श्री महावीर जिन स्तवन
प्रभु तुम ही हमारे हो जीवन के सहारे...
सिद्धार्थ के हो नंद तुम्ही त्रिशला दुलारे...
तूंहीने बचाया है मुझे भव से तिराया,
दुनियां के मोह जाल से तैने ही छुडाया,
अब तुम्हीं लगादो यह मेरी नैया किनारे...प्रभु० १
इकवार जरा नाथ मुझे दर्श दिखा दो,
तेरा भक्त रहा भरत प्रभु आके संभालो,
सेवक है अकेला प्रभु तुम मुक्ति सिधारे...प्रभु० २