Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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भजनमाळा ][ ८३
रंग मच्यो जिनद्वार
(राग....होरी....)
रंग मच्यो जिनद्वार चलो सखी खेलन होरी....
सुमत सखी सब मिलकर आवो, कुमितिने देवो नीकार,
केशर चंदन ओर अर्गजा, समता भाव घुलाव....चलो.
दया मिठाई तप बहु मेवा सित ताम्बुल चवाय,
आठ करम की डोरी रची है, ध्यान अग्नि सु जलाय...चलो.
गुरुके वचन मृदंग बजत है ज्ञान क्षमा डफ ताल,
कहत ‘बनारसी’ या होरी खेलो, मुक्ति पुरीको राव....चलो.
श्री नेमिनाथ स्तवन
(राग...होरी....)
सखी...मन धीर न धारे...बिना पिय नेम पियारे....सखी.
अबलो अंश लगा मन राखे निशदिन वाट निहारे,
जब दिन मधुर मिलना का आया,
तज गीरनार सिधारे...सखी मन.
पशुवनसें प्रभु प्रीत बढाई मुझसे नेह विसारे,
तौरन से रथ फेर गये वो,
नहीं चित चिंता धारे...सखी मन.