भजनमाळा ][ ८३
रंग मच्यो जिनद्वार
(राग....होरी....)
रंग मच्यो जिनद्वार चलो सखी खेलन होरी....
सुमत सखी सब मिलकर आवो, कुमितिने देवो नीकार,
केशर चंदन ओर अर्गजा, समता भाव घुलाव....चलो. १
दया मिठाई तप बहु मेवा सित ताम्बुल चवाय,
आठ करम की डोरी रची है, ध्यान अग्नि सु जलाय...चलो. २
गुरुके वचन मृदंग बजत है ज्ञान क्षमा डफ ताल,
कहत ‘बनारसी’ या होरी खेलो, मुक्ति पुरीको राव....चलो. ३
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श्री नेमिनाथ स्तवन
(राग...होरी....)
सखी...मन धीर न धारे...बिना पिय नेम पियारे....सखी.
अबलो अंश लगा मन राखे निशदिन वाट निहारे,
जब दिन मधुर मिलना का आया,
तज गीरनार सिधारे...सखी मन. १
पशुवनसें प्रभु प्रीत बढाई मुझसे नेह विसारे,
तौरन से रथ फेर गये वो,
नहीं चित चिंता धारे...सखी मन. २