Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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८४ ][ श्री जिनेन्द्र
भोग भूजंग भयंकर भव भव भंजन योग चितारे,
स्हेसावन जा कर कचलोचन,
भूषन वसन उतारे...सखी मन.
पल पल पलकें पिय प्यारे पर नैनां पलक पसारे,
यह सौभाग्य सफल हो जबही नित ऊठ नेम नीहारे. सखी.
भजन
(राग...होरी)
मेरा मन ऐसी खेलत होरी...मेरा मन....
मन मिरदंग साज करी व्यारी, तनको तंबूर बनोरी,
सुमतिमुरंग सारंगी बजाइ, ताल दोउ कर जोरी,
राग पाचो पद कों....री....
समकितरूप नीर भर झारी, करुणा केशर घोरी,
ज्ञानमयी लेकर पीचकारी, दोउ करमांही सम्होरी,
इन्द्रि पाचों सखी वोरी...
चतुर दान को है गुलाब सो भरी भरी मूठी चलोरी,
तपमें वांकी भरी निज झोरी, यशको अबील ऊडोरी,
रंग जिनधाम मचोरी...
‘दौल’ बाल खेले अब होरी, भव भव दुःख टलोरी,
शरना ले एक श्री जिन कोरी, जगमें लाज हो तारी,
मिले फगुआ शिवगौरी...