Shri Jinendra Bhajan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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८६ ][ श्री जिनेन्द्र
गंधकूटी पै नाथ सोहे है मन मोहक ये छबियां,
मन मंदिरमें बसी हुई प्रभु वीतराग मूरतियां...
सेवक तव गुण गाये....३
स्वर्णनगर में मानस्तंभ सोहे, समवसरनकी छाया,
गगनांगण मैं नाथ बिराजे प्रभु विदेह से आया...
सेवक पर कृपा वरसे...४
भारत भरमें डंका जिय का श्रीगुरु कहान बजाया,
परम शांति पाने के हेतु गुरुजी चरनमें आया....
जुगजुग जीवो कहान हमारा...५
वीरप्रभुना जन्मनी वधााइ
त्रिशला के अंगना....
आज बाजे बाजे है वधाई....त्रिशला के अंगना,
पूरजन हुए है मगनवा,
गूंजे जय जय गगना....
धन्य धन्य श्री वीरने लिया पुण्य अवतार. त्रिशला के अंगना...
अंधकार जगका मिटा,
छाया हर्ष अपार....
धन्य आज जयंति आई...आई...त्रिशला के अंगना...
आये इन्द्र शची मिल द्वारा,
लाये ऐरावत गज लार...